*इतने बेताब इतने बेक़रार क्यूँ हैं,* *लोग जरूरत से होशियार क्यूँ हैं।* *मुंह पे तो सभी अपने हैं लेकिन.* *पीठ पीछे दुश्मन हज़ार क्यूँ हैं।* *हर चेहरे पर इक मुखौटा है यारो,* *लोग ज़हर में डूबे किरदार क्यूँ हैं।* *सब काट रहे हैं यहां इक दूजे को,* *लोग सभी दो धारी तलवार क्यूँ हैं।* *सब को सबकी हर खबर चाहिये,* *लोग चलते फिरते अखबार क्यूँ है l*
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BIJAN BARIK
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